Please answer the above question and please don't give incorrect answers

मित्र,साधारण आदमी के पास सोचने- विचारने की शाक़्ति नहीं होती, उनके मन में धर्म के लिए इतनी भाक़्ति होती है कि धर्म के नाम पर कुछ भी बोलने पर वो धर्म के लिए उवल पडते हैं।

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