Please answer the question fast.
मित्र
1- साखियाँ एवं सबद - कबीर
2- लोग प्रायः ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि में ढूंढते हैं जबकि ईश्वर तो मनुष्य के मन में हैं।
3- ईश्वर भक्ति के बारे में कवि ने अनेक सामाजिक धारणाओं का खंडन किया है- पत्थरों को पूजना, कुरान का पाठ करना, गुरु-शिष्य बनना, तीर्थ करना, व्रत करना, टोपी पहनना, माला फेरना, माथे पर छाप लगाना, तिलक लगाना इत्यादि बातें आडंबर हैं। इनसे ईश्वर प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं। ईश्वर प्राप्त करने के लिए मनुष्य को इस सबसे दूर रहना चाहिए। वे कहते हैं कि स्वयं को पहचानो। उनके अनुसार जिसने स्वयं को पहचान लिया है, उसने ही सच्चा ज्ञान प्राप्त कर लिया है।
4- मित्र इन पंक्तियों से कवि का आशय है कि यदि वास्तव में मनुष्य ईश्वर को सच्चे रूप से खोजता है, तब ईश्वर उसे पल भर की खोज में मिल जाते हैं।
1- साखियाँ एवं सबद - कबीर
2- लोग प्रायः ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि में ढूंढते हैं जबकि ईश्वर तो मनुष्य के मन में हैं।
3- ईश्वर भक्ति के बारे में कवि ने अनेक सामाजिक धारणाओं का खंडन किया है- पत्थरों को पूजना, कुरान का पाठ करना, गुरु-शिष्य बनना, तीर्थ करना, व्रत करना, टोपी पहनना, माला फेरना, माथे पर छाप लगाना, तिलक लगाना इत्यादि बातें आडंबर हैं। इनसे ईश्वर प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं। ईश्वर प्राप्त करने के लिए मनुष्य को इस सबसे दूर रहना चाहिए। वे कहते हैं कि स्वयं को पहचानो। उनके अनुसार जिसने स्वयं को पहचान लिया है, उसने ही सच्चा ज्ञान प्राप्त कर लिया है।
4- मित्र इन पंक्तियों से कवि का आशय है कि यदि वास्तव में मनुष्य ईश्वर को सच्चे रूप से खोजता है, तब ईश्वर उसे पल भर की खोज में मिल जाते हैं।