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मित्र ठाकुरबारी ऐसे साधुओं और लोगों का अड्डा थी, जो गुंडे तथा बदमाश थे। सारा दिन मदिरा तथा नशे में झुमते रहने वाले लोग थे। यह धर्म का चोगा पहनकर साधारण जन को लूट रहे थे। जबकि
ठाकुरबाड़ी गाँव और लोगों के जीवन में बहुत महत्व रखती थी। ठाकुरबाड़ी ईश्वर का स्थल थी। लोगों की ईश्वर पर अगाध श्रद्धा हुआ करती है। यही कारण था कि लोग ठाकुरबाड़ी को अनदेखा नहीं कर सकते थे। गाँव वाले वहाँ शांति और शुद्धता का अनुभव किया करते थे। तीज़-त्योहारों पर ठाकुरबाड़ी में प्रभु का धन्यवाद किया करते थे। फसल कटने पर ठाकुर जी का भोग निकाल कर फसल घर ले जाया करते थे। ठाकुरबाड़ी जैसी संस्थाओं का ग्रामीण समाज के प्रति कर्तव्य और भी अधिक बढ़ जाता है जब लोग अपना पूरा विश्वास दिखातेे हैं। ठाकुुुुरबारी जैसी संस्थाओं को ग्रामीण समाज में अग्रणी की भूमिका निभानी चाहिए। उन्हें लोगों को अंधविश्वास और अंधभक्ति केे प्रति जागरूक करना चाहिए। जब लोगों को आवश्यकता हो उनकी सहायता करने के लिए ठाकुरबाड़ी को सामने आना चाहिए।

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