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प्रिय विद्यार्थी , 

आपके प्रश्न का उत्तर है - 
1. 'मानसरोवर' से कवि का आशय हमारे मन में स्थित हृदय रूपी तालाब से है ।  जिस तालाब में जीवात्मा रूपी हंस ज्ञान रूपी मो चुनते हैं । 
2. कवि ने ईश्वर के प्रति प्रेम को सच्चे प्रेम की कसौटी बताया है । अर्थात जो इस संसार के मोह-माया रूपी बंधनों को छोड़कर उस निराकार की भक्ति में लीन है , वहीं सच्चा प्रेमी कहलाता है । 
3. तीसरे दोहे में कवि ने उस ज्ञान को महत्व दिया है , जिसमें सहजता हो । जो ज्ञान हमें सहजता नहीं सिखाता , जो हमें अहंकार और अभिमान करना सिखाता हो , वैसे ज्ञान का कोई महत्व नहीं होता है । 
4. जो व्यक्ति इस संसार के मोह-माया को छोड़कर निष्पक्ष और निश्चल भाव से उस निराकार ईश्वर की साधना करता है , वहीं सच्चा संत कहलाता है । 
5. (क) पक्ष-विपक्ष  
    (ख) योग 

आभार । 

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