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मित्र,
तोप हमारी प्राचीन विरासत और संस्कृति का प्रतीक है। चिड़िया ऐसे लोगों का प्रतीक है, जो विरासत और संस्कृति की उपेक्षा करते हैं।  'तोप' कविता हमारी सांस्कृतिक विरासत की संभाल करने की सीख देती है। कवि वीरेन डंगवाल के अनुसार एक देश की पहचान उसकी प्राचीन धरोहरों से होती है। यही धरोहरें हमें हमारे देश की प्राचीन संस्कृति, सभ्यता, योगदान के विषय में और इतिहास में हमारे द्वारा की गई गलतियों से परिचय कराती हैं।इमारत की यदि नींव ही कमजोर हो जाए, तो उसका अस्तित्व अधिक समय तक नहीं रह पाता। कवि तोप के माध्यम से अपनी बात रखता है। यह इस बात का भी संदेश देती है कि कितना बड़ा राजा या शहशांह क्यों न हो, उसका अंत एक दिन अवश्य होता है। 

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Sure thing!

Toop kavita se hume ye sandesh milta hai ki hume apne aap ko uunchaa nahin samajhna chahiya kyonki agar humne aisa kiya to hume koi na koi chup kar dega. Example is in toop chapter.
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Its an five marker
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oh
okay please wait i will find a solution
BRB
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पार्क के गेट पर अंग्रेजों के जमाने की तोप बहुत संभाल के विरासत के तौर पर रखी हुई है। विरासत में मिली चीजें ऐतिहासिक महत्व की होती हैं। इसलिए इस तोप की भी पूरी देखभाल होती है। साल में दो बार यानि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के दिन इसे कायदे से चमकाया जाता है। इतिहास के प्रतीक अच्छे भी हो सकते हैं और बुरे भी। जैसे कि कंपनी का बाग और कंपनी की तोप। दोनों ही स्थिति में उन्हें धरोहर की तरह सम्भालना चाहिए। क्योंकि इतिहास हमें बताता है कि कहाँ हमने सही किया और कहाँ हमसे चूक हुई।

जो भी सैलानी वहाँ घूमने आते हैं उन्हें इस तोप का विशाल आकार मौन रहकर भी अपने उत्कर्ष के दिनों की कहानी सुनाता है। कोई भी इसकी कल्पना मात्र से सिहर उठ सकता है कि कैसे इस तोप ने कितने ही देशप्रेमियों को मौत के घाट उतार दिया होगा।
 

ये पंक्तियाँ तोप की वर्तमान दशा को चित्रित करती हैं। सत्ता और सफलता के मद में चूर व्यक्ति जब बढ़ चढ़कर बोलने लगता ऐ तो उसे एक बड़ा तोप कहा जाता है। लेकिन ये एक कड़वी सच्चाई है कि बड़े से बड़े तोप का मुँह भी एक न एक दिन बंद हो जाता है


 

इस तोप की भी आजकल यही दशा है। इस पर बच्चे घुड़सवारी करते हैं और चिड़िया इसपर बैठकर चहचहाती हैं। बच्चों और चिड़ियों की उपमा इस लिए दी गई है कि ये दोनों निर्बलता और कोमलता के प्रतीक हैं। जो तोप किसी जमाने में सूरमाओं की धज्जियाँ उड़ा देता था आज ये आलम है कि चिड़िया जैसी निरीह प्राणी भी उसके मुँह के अंदर घुसकर खिलवाड़ करती हैं।

Hope my rectification is acknowledged! :D

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