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उत्तर: नवाब साहब को खीरा खाने की तैयारी करते हुए देख लेखक ने यह सोचा होगा कि नवाब साहब को झूठी शान दिखाने की आदत रही होगी। वे खीरे को गरीबों का फल मानते होंगे और इसलिए किसी के सामने खीरे को खाने से बचना चाहते होंगे। वह यह भी दिखाना चाहते होंगे कि नफासत के मामले में उनका कोई सानी नहीं है। इसलिए उन्होंने खीरे को बड़े यत्न से काटा, नमक-मिर्च बुरका और फिर खिड़की से बाहर फेंक दिया। लेखक के मन में खीरा ना खाने की इच्छा जगी और उन्होंने इसीलिए मना कर दिया ताकि उनका आत्मसम्मान बचा रहे क्योंकि उन्हें पिछली बार की खीरा खाने की बात याद आ गई थी।

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