कवियों की धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य क्यों कहा है?
कवियों की धारणा केवल बाहरी सौंदर्य पर ध्यान देते हैं।
परंतु आंतरिक सौंदर्य की ओर उनका ध्यान नहीं जाता।
कवियों को पंकज पर कविता लिखने में बहुत आनंद आता है।
परंतु वे कभी उसकी जननी कीचड़ पर अपनी लेखनी नहीं उठाते। पंक से सब घृणा करते हैं। सब इसका तिरस्कार करते हैं।
पंकज को सिर माथे पर लगाया जाता है।
श्री कृष्ण को वासुदेव कहते हैं, लोग उन्हें पूजते भी हैं। 
परन्तु उनके पिता वसुदेव को भी पूजे यह ज़रूरी नहीं है।
हीरे और मोती को महत्त्व देते हैं किंतु उनको पैदा करनेवाले कोयले, पत्थर या सीपी को नहीं।
कवियों की इस धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य कहा है।
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आपका उत्तर सही है।

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