ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है? 
कहा जाता है गाँव के लोग भोले होते हैं। असल में गाँव के लोग अंधविश्वासी धर्मभीरू होते हैं। मंदिर जैसे स्थान को पवित्र, निश्कलंक, ज्ञान का प्रतीक मानते हैं। पुजारी, पुरोहित मंहत भी उनके लिए अपार श्रद्धा थी। उनका विरोध करते भी वे डरते हैं। तथा गाँववाले अपनी हर छोटी-बड़ी सफलता का श्रेय ठाकुरबारी को ही देते थे। उनका हर सुख-दुख उससे जुड़ा था। इसी कारण ठाकुर बाड़ी के प्रति गाँव वालों की अपार श्रद्धा थी।  अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 
हरिहर काका नि:संतान थे और उनके हिस्से में पंद्रह बीघे उपजाऊ जमीन थी। मंहत और भाई दोनों का उद्देश्य हरिहर काका की इसी उपजाऊ पंद्रह बीघे जमीन को अपने कब्जे में करना था। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए दोनों ने पहले काका को अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों में फँसाना शुरू किया।  काका के मना करने पर उन्हें अनेकों यातनाएँ दी। दोनों ही उनकी जमीन को हथियाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे।  वे यह जानते थे कि जब तक जमीन उनके पास है तब तक सभी उनका आदर करेंगें। जो प्यार दिखाते हैं वह केवल ज़ायदाद के लिए है। इन बातों से स्पष्ट होता है कि काका अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं।
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कहा जाता है गाँव के लोग भोले-भाले होते हैं। असल में गाँव के लोग अंधविश्वासी और धर्मभीरू होते हैं। मंदिर जैसे स्थान को पवित्र, निष्कलंक और ज्ञान का प्रतीक मानते हैं। पुजारी, पुरोहित तथा मंहत के प्रति भी उनके मन में अपार श्रद्धा होती है। वे, उनका विरोध करते हुए भी डरते हैं। गाँववाले अपनी हर छोटी-बड़ी सफलता का श्रेय ठाकुरबाड़ी को ही देते थे। उनका हर सुख-दुख उससे ही जुड़ा था। इसी कारण ठाकुर बाड़ी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा थी।  अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते थे। कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 
हरिहर काका नि:संतान थे और उनके हिस्से में पंद्रह बीघे उपजाऊ जमीन थी। मंहत और भाई दोनों का उद्देश्य हरिहर काका की इसी पंद्रह बीघे उपजाऊ जमीन को अपने कब्जे में करना था। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए दोनों ने पहले काका को अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों में फँसाना शुरू किया। काका के मना करने पर उन्हें अनेकों यातनाएँ दी। दोनों ही उनकी जमीन को हथियाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे। वे यह जानते थे कि जब तक जमीन उनके पास है तब तक सभी उनका आदर करेंगें। जो प्यार दिखाते हैं वह केवल ज़ायदाद के लिए है। इन बातों से स्पष्ट होता है कि अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं।

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