Please explain the internal meaning of the following lines -
मित्र !
इतना बड़े अनुच्छेद का आंतरिक भाव देना संभव नहीं है, हम यहाँ संक्षेप में अपने विचार दे रहे हैं :
ऐसा लगता है, तुमने स्वाभिमान को सबसे ऊपर रखा है । इसको बचाने के लिए तुम कुछ भी कर सकते हो । तुम चाहते तो अपने स्वाभिमान के साथ समझौता कर सकते थे । मैं जानता हूँ स्वाभिमान के साथ समझौता करना तुम्हारे बस की बात नहीं है । यह स्वाभिमान है तभी तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान है । तुमने समाज के अंदर फैली बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया होगा । लेखक जानते हैं कि प्रेमचंद जी समाज में फैली बुराइयों तथा भेदभाव पर व्यंग्य कर रहे हैं । अवसरवादी, स्वार्थपरक और धर्म के नाम पर शोषण करने वाले लोगो पर व्यंग कर रहे है ।
इतना बड़े अनुच्छेद का आंतरिक भाव देना संभव नहीं है, हम यहाँ संक्षेप में अपने विचार दे रहे हैं :
ऐसा लगता है, तुमने स्वाभिमान को सबसे ऊपर रखा है । इसको बचाने के लिए तुम कुछ भी कर सकते हो । तुम चाहते तो अपने स्वाभिमान के साथ समझौता कर सकते थे । मैं जानता हूँ स्वाभिमान के साथ समझौता करना तुम्हारे बस की बात नहीं है । यह स्वाभिमान है तभी तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान है । तुमने समाज के अंदर फैली बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया होगा । लेखक जानते हैं कि प्रेमचंद जी समाज में फैली बुराइयों तथा भेदभाव पर व्यंग्य कर रहे हैं । अवसरवादी, स्वार्थपरक और धर्म के नाम पर शोषण करने वाले लोगो पर व्यंग कर रहे है ।