Please explain this paragraph fast it is very important:-

 

नमस्कार मित्र!
 
(1)रैदास जी अपने आराध्य का सुमिरन करके कहते हैं कि हे प्रभु आपके नाम की रट ऐसी लगी है, जो अब कभी नहीं छूटेगी। प्रभु आपका मेरा संबंध ऐसा है जैसे चंदन और पानी के बीच होता है। जिस प्रकार चंदन के संपर्क में आने से पानी भी चंदन की भांति सुगन्धित हो जाता है, उसी प्रकार आपके सुमिरन से मेरा तन और मन सुगन्धित हो गया है। वह आगे कहते हैं कि प्रभु आप बादल के समान हैं और मैं मोर के समान हूँए जैसे सावन में आकाश में बादल छाते ही मोर नाचने लगता है, आपके दर्शन से मैं भी प्रसन्नता के कारण भाव-विभोर हो जाता हूँ। वह चकोर और चंद्रमा का उदाहरण देते हुए कहते हैं प्रभु जैसे चकोर चंद्रमा के दर्शन के लिए व्याकुल रहता है और उसकी तरफ निहारता रहता है, उसी प्रकार मैं भी आपके दर्शन के लिए तड़प रहा हूँ। हे प्रभु आप दीपक और मैं आपकी बाती हूँ। जैसे दीपक के साथ उसकी बाती जलती है, मैं भी बाती के समान आपका प्रेम पाने के लिए जलता हूँ। प्रभु जी आप और मैं मोती व धागे के समान एक दूसरे से परस्पर जुड़े हुए हैं। आप मोती के समान सुन्दर व उज्ज्वल हैं और मैं उसमें पिरोया हुआ धागा हूँ। प्रभु आपका और मेरा मिलन सोने में सुहागे के समान है। जैसे सुहागे के संपर्क में आकर सोना चमक जाता है, मैं भी आपके संपर्क में आकर पवित्र और निर्मल हो गया हूँ। रैदास जी कहते हैं कि मैं आपकी ऐसी भक्ति करता हूँ मानो एक सेवक अपने मालिक की करता है।
 

  • 1
What are you looking for?