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मित्र
3. पिता अपने बारे में कह रहे हैं कि मैं मूर्ख था जो अपने प्रेम केेेे कारण यह समझता था कि तुम मेरे संरक्षण में सुरक्षित हो। तुम्हारी सारी दुनिया मेरी छाया के तले हैं।
4. पिता का प्रेम कभी भी दिखाई नहीं देता। उनकी नसीहत सुनाई देती है। पिता उस कुम्हार की तरह होता है, जो ठोक पीटकर बर्तन बनाता है।
5. 'पिता का अदृश्य स्नेह'
3. पिता अपने बारे में कह रहे हैं कि मैं मूर्ख था जो अपने प्रेम केेेे कारण यह समझता था कि तुम मेरे संरक्षण में सुरक्षित हो। तुम्हारी सारी दुनिया मेरी छाया के तले हैं।
4. पिता का प्रेम कभी भी दिखाई नहीं देता। उनकी नसीहत सुनाई देती है। पिता उस कुम्हार की तरह होता है, जो ठोक पीटकर बर्तन बनाता है।
5. 'पिता का अदृश्य स्नेह'