please give me summary of chapter kanya daan(by-rituraj) please..........

'कन्यादान' के माध्यम से कवि ऋतुराज ने माँ के दर्द और समाज में स्त्री की दशा का मार्मिक चित्रण किया है। समाज कितना भी बदल जाए परंतु स्त्री का स्वरूप वैसा-का-वैसा ही बना हुआ है। वह अपनों के द्वारा सदैव से प्रताड़ित ही की जाती रही है। कन्यादान कविता में कवि ऐसी माँ के रूप को दर्शाता है, जो समाज में स्त्रियों के साथ होने वाले अत्याचारों और प्रताड़नाओं से भली-भांति परिचित है। वह अपनी बेटी को विवाह के पश्चात लीक से हटकर कुछ महत्वपूर्ण सीख देती है। उसके अनुसार उसकी बेटी जीवन के सत्य को भली-भांति नहीं जानती है। लोगों के स्वरूप को उसने अभी समीप से देखा नहीं है। उसकी बेटी उसके लिए अमूल्य निधि के समान है। उसकी रक्षा के लिए वह उसे समझाते हुए कहती है कि लड़की होना परन्तु लड़की जैसा न दिखाई देना क्योंकि उसकी कोमलता का समाज लाभ उठा सकता है। इस कविता में ऋतुराज ने माँ की पीड़ा की बहुत मार्मिक और सजीव अभिव्यक्ति की है। 

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