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हम आपके प्रश्न के लिए अपने विचार दे रहे हैं। आप इसकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं। 

पर्वतों पर उगे हरे-भरे वृक्षों की मानव से तुलना की गई है। ऐसा लगता है मानो मनुष्य स्थिर खड़े होकर अपलक आकाश की ओर निहार रहे हैं। पर्वतों पर वृक्ष एकदम सीधे और ऊँचे होते हैं इसलिए उनकी तुलना की गई है। तेज़ बारिश के होने से हवा में ऐसा महसूस होता है, जैसे धुआँ-सा उड़ रहा हो। पानी में देखने से लग रहा था, जैसे पानी में आग लग गई हो। मौसम के ऐसे भयानक रूप और स्वरुप को देखकर वृक्ष डर कर धरती में धंस गए प्रतीत हो रहे हैं।
 

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