Please help me with the question
उत्तर–
प्रिय विद्यार्थी यह एक गतिविधि आधारित कार्य है जिस पर आपने यह लिखना है कि अब गर्मियों की छुट्टियों पर पहाड़ों पर जाकर अपने मजे किए और साथ में क्या ज्ञान प्राप्त किया हम यहां पर शुरुआत कर देते हैं इसके आगे आप स्वयं लिखिएगा।
पहाड़ किसे आकर्षित नहीं करते ? किसी पहाड़ी स्थान में कुछ दिन बिताने का आनंद अनोखा होता है। इस साल गर्मियों की छुट्टियों में मुझे पिताजी के साथ सौदर्यधाम आबू पर्वत पर जाने का अवसर प्राप्त हुआ।
आबू रोड तक की यात्रा हमने रेलगाड़ी से की। आबू रोड से माउंट आबू जाने के लिए हम राजस्थान परिवहन निगम की बस में सवार हुए। दूर से आबू पर्वत के दर्शन होते ही मेरा दिल उछल पड़ा। उसके सर्पाकार मार्ग पर हमारी बस मंद गति से चल रही थी। एक ओर शिला-चट्टानों के ऊँचे-ऊँचे ढेर थे, तो दूसरी ओर बीहड़-गहरी खाइयाँ। हरे-भरे दृश्य और शीतल पवन मन को एक निराला ही आनंद दे रहे थे।
बहुत ऊँचाई पार करने के बाद हमारी बस रघुनाथ मंदिर के निकट खड़ी हो गई। उस समय सुबह के नौ बज रहे थे। सड़कों पर मेटाडोर, जीपें और कारें दौड़ रही थीं।
इस यात्रा पर मैंने बहुत कुछ सीखा भी।
प्रिय विद्यार्थी यह एक गतिविधि आधारित कार्य है जिस पर आपने यह लिखना है कि अब गर्मियों की छुट्टियों पर पहाड़ों पर जाकर अपने मजे किए और साथ में क्या ज्ञान प्राप्त किया हम यहां पर शुरुआत कर देते हैं इसके आगे आप स्वयं लिखिएगा।
पहाड़ किसे आकर्षित नहीं करते ? किसी पहाड़ी स्थान में कुछ दिन बिताने का आनंद अनोखा होता है। इस साल गर्मियों की छुट्टियों में मुझे पिताजी के साथ सौदर्यधाम आबू पर्वत पर जाने का अवसर प्राप्त हुआ।
आबू रोड तक की यात्रा हमने रेलगाड़ी से की। आबू रोड से माउंट आबू जाने के लिए हम राजस्थान परिवहन निगम की बस में सवार हुए। दूर से आबू पर्वत के दर्शन होते ही मेरा दिल उछल पड़ा। उसके सर्पाकार मार्ग पर हमारी बस मंद गति से चल रही थी। एक ओर शिला-चट्टानों के ऊँचे-ऊँचे ढेर थे, तो दूसरी ओर बीहड़-गहरी खाइयाँ। हरे-भरे दृश्य और शीतल पवन मन को एक निराला ही आनंद दे रहे थे।
बहुत ऊँचाई पार करने के बाद हमारी बस रघुनाथ मंदिर के निकट खड़ी हो गई। उस समय सुबह के नौ बज रहे थे। सड़कों पर मेटाडोर, जीपें और कारें दौड़ रही थीं।
इस यात्रा पर मैंने बहुत कुछ सीखा भी।