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2) ' निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय " कहकर कवि ने क्या शिक्षा दी है?

प्रिय मित्र!
हम एक बार में सभी प्रश्नों के उत्तर नहीं दे सकते हैं। आप अपने प्रश्न बारी बारी से पुनः पूछ सकते हैं।

 निज मन की बिथा - इसमें कवि ने शिक्षा दी है कि कभी भी अपने मन के भीतर की व्यथा को मन के बाहर नहीं लाना चाहिए। उसे मन में ही रखना चाहिए क्योंकि दूसरेेेे लोग आपके दुख को सुनकर  खुश होते हैं।  कोई आपकी व्यथा को बांटकर कम करने वाला नहीं है।
 

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