Please someone summary of chapter hindi atmakatha

प्रिय विद्यार्थी,

आत्मपरिचय कविता एक आपबीती के सामान प्रस्तुत की गयी है जिसमें कवि स्वयं का जीवन के प्रति दृष्टिकोण की चर्चा करता है। वह आशावादी है। यद्यपि वह सांसारिक कठिनाइयों से जूझ रहा है, फिर भी वह ज़िंदादिल है । वह अपनी आशाओं और निराशाओं से संतुष्ट है। वह संसार से मिले प्रेम व स्नेह की परवाह नहीं करता, क्योंकि संसार उन्हीं लोगों की जयकार करता है जो उसकी इच्छानुसार व्यवहार करते हैं। वह अपनी धुन में रहने वाला व्यक्ति है। कवि संतोषी प्रवृत्ति का है। वह अपनी वाणी के जरिये अपना आक्रोश व्यक्त करता है। उसकी व्यथा शब्दों के माध्यम से प्रकट होती है तो संसार उसे गाना मानता है। वह संसार को अपने गीतों, द्वंद्वों के माध्यम से प्रसन्न करने का प्रयास करता है। कवि सभी को सामंजस्य बनाए रखने के लिए कहता है।




आभार। 

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