please tell me "kan kan mein hai ....chintamani" vyakhya from vasant bhag 2 - chapter viplav gayan
कवि कहता है कि क्रांति की चिनगारियाँ कण-कण में बस गई है। क्रांति का यह गीत मेरा रोम-रोम गाता है। तान तथा ध्वनि में भी क्रांति का गीत समाया हुआ है। कालकूट सर्प के फन पर स्थिति चिंतामणि भी इस क्रांति गीत को गा रही है। भाव यह है कि आज समाज को बदलने के लिए क्रांति आवश्यक है। मैंने क्रांति का अलख जगा दिया है। यह क्रांति गीत मेरे रोम-रोम में व्याप्त है।