मुरति बना कर पटक देने मे छिपे व्यग्य को स्पष्ट करे।please tell me quickly.

मित्र पाठ में नेताजी की मूर्ति को बनाने का बजट अधिक था। नगरपालिका के अधिकारियों ने इस काम को टालने की तर्ज़ पर एक ड्राइंग मास्टर सरीखे व्यक्ति को ही मूर्ति बनाने का काम सौंप दिया। उस व्यक्ति ने महीने-भर में मूर्ति बनाकर पटक देने का आश्वासन दिया। यहाँ लेखक ने व्यंग्य किया है कि जिन क्रांतिकारी देशभक्तों ने देश के लिए अपनी कुर्बानी दी आज उनके प्रति हमारे मन में कोई सम्मान नहीं रह गया है। उनकी मूर्ति पर होने वाले व्यय की बचत करने के लिए किसी भी व्यक्ति को यह काम सौंप दिया जाता है। 

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