please tell me the meaning of this
vichar lo ki martya ho na mritiyu se daro kabhi, maro, parantu yu maro ki yaad jo kare sabhi
hui na yu sumrityu to vritha mare, vritha jiye, mara nahi vahi ki jo jiya na apke liye
vahi pasu- pravriti hai ki aap aap hi chare, vahi manusya hai ki jo manusya ke liye mare
नमस्कार मित्र!
कवि कहता है कि हमें इस सत्य को भली-भांति से जान लेना चाहिए कि हमें एक दिन मरना ही है और इस बात को याद करते हुए हमें मृत्यु का डर जीवन मार्ग में चलते हुए निकाल देना चाहिए। कवि का मानना है कि मरना तो सभी ने होता है परन्तु हमें इस प्रकार से मरना चाहिए कि लोग हमारी मृत्यु के बाद भी हमें गर्व के साथ याद करें। कवि कहता है कि इस संसार में ऐसे ही अनेक लोग आते हैं और मर जाते हैं। परन्तु उनकी मरना और जीना दोनों व्यर्थ जाता है। कवि कहता है, जो मनुष्य सारी उम्रभर अपने लिए जीता है वह मरे के समान है। ऐसा मनुष्य पशुओं के समान है। पशु सारी उम्रभर अपने लिए जीता है। वह स्वयं के पेट के लिए जीवनभर चरता रहता है। कवि कहता है वही मनुष्य सही अर्थों में मनुष्य कहलाता है, जो सारा जीवन लोक-कल्याण और परहित में अपना जीवन व्यतीत कर देता है।