दुविधा मे दोनों गए माया मिली न राम पर एक अनुच्छेद please

दुविधा ऐसी स्थिति है, जो मनुष्य को चैन से जीने नहीं देती है। मनुष्य को इसलिए कहा जाता है कि किसी विषय पर अधिक नहीं सोचना चाहिए। अधिक सोचने से ही दुविधा की स्थिति आन पड़ती है। विचार-विमर्श करना आवश्यक होता है लेकिन जब आप तय नहीं कर पाते कि आपको करना क्या उसे दुविधा की स्थिति कहा जाता है। दुविधाग्रस्त मनुष्य किसी नतीजे पर पहुँच नहीं पाता है। उसे दोनों ही स्थितियाँ अच्छी लगती है। आखिर  माया मिली न राम वाली स्थिति हो जाती है। हमें चाहिए कि किसी भी विषय पर निर्णय लेने के लिए आराम से सोचकर बैठे दोनों पक्षों पर गौर करें और तब आगे बढ़े। यदि कोई ऐसा विषय हो जिस पर आप दुविधा की स्थिति में आए जाएँ, तो अपने परिवार के सदस्यों तथा मित्रों के साथ बैठकर उसे हल करें।

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