Pls answer questions 6 and 9
मित्र
6. कच्चे धागे की रस्सी से नाव खींचने का यह तात्पर्य है - ललद्यद जी कहती है कि मैं अपना कच्चा धागा रूपी शरीर खींच रही हूँ। अर्थात् मुझे इस शरीर से कोई मोह नहीं है। मैं तो विवश होकर इस शरीर के द्वारा जीवन रूपी नाव खींच रही हूँ।
6. कच्चे धागे की रस्सी से नाव खींचने का यह तात्पर्य है - ललद्यद जी कहती है कि मैं अपना कच्चा धागा रूपी शरीर खींच रही हूँ। अर्थात् मुझे इस शरीर से कोई मोह नहीं है। मैं तो विवश होकर इस शरीर के द्वारा जीवन रूपी नाव खींच रही हूँ।