Pls help this Q is coming in exam
मित्र,
लोकगीत और नृत्य सिर्फ गांंव या जिलों में ही नहीं गाए जाते हैं अपितु भारत के हर कोने-कोने में लोकगीत पाए जाते हैं। वह फिर उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत, पूर्वी भारत हो या पश्चिमी भारत, इनका संबंध देश के हर कोने से है। लोकगीतों को अपनी पहचान बनाने में लंबा समय लगा। परन्तु आज यह अपने स्वरूप के साथ लोगों के दिलों में अपने लिए स्थान बना चुके हैं। विभिन्न बोलियों व भाषा में होने के कारण यह बड़े आनंददायक व आह्लादकर हैं। राजस्थानी व पंजाबी भाषा आदि के लोकगीत से तो आज शहरों में बच्चे भी परिचित हैं। इन लोकगीत की रचना के पीछे स्त्रियों का योगदान माना जाता है। वही अपने सुख, दुख व आनंद को दर्शाने के लिए लोकगीतों का सहारा लेती है।
इन लोकगीतों स्वरूप बहुत विशाल है। यह पूरे भारत की आत्मा है। इनके साथ ही आनंद, मस्ती व प्रेम का वातावरण जाग्रत हो जाता है। थके पाथिक के लिए यह घने सघन वृक्ष की छाया के समान है। हमारे लोकगीत हमारे जीवन व आनंद का प्रतीक हैं।
लोकगीत और नृत्य सिर्फ गांंव या जिलों में ही नहीं गाए जाते हैं अपितु भारत के हर कोने-कोने में लोकगीत पाए जाते हैं। वह फिर उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत, पूर्वी भारत हो या पश्चिमी भारत, इनका संबंध देश के हर कोने से है। लोकगीतों को अपनी पहचान बनाने में लंबा समय लगा। परन्तु आज यह अपने स्वरूप के साथ लोगों के दिलों में अपने लिए स्थान बना चुके हैं। विभिन्न बोलियों व भाषा में होने के कारण यह बड़े आनंददायक व आह्लादकर हैं। राजस्थानी व पंजाबी भाषा आदि के लोकगीत से तो आज शहरों में बच्चे भी परिचित हैं। इन लोकगीत की रचना के पीछे स्त्रियों का योगदान माना जाता है। वही अपने सुख, दुख व आनंद को दर्शाने के लिए लोकगीतों का सहारा लेती है।
इन लोकगीतों स्वरूप बहुत विशाल है। यह पूरे भारत की आत्मा है। इनके साथ ही आनंद, मस्ती व प्रेम का वातावरण जाग्रत हो जाता है। थके पाथिक के लिए यह घने सघन वृक्ष की छाया के समान है। हमारे लोकगीत हमारे जीवन व आनंद का प्रतीक हैं।