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मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-

मित्र रामन् एक भारतीय थे। अतः वह भारतीय संस्कृति के प्रशंसक क्यों नहीं होगें। इसके अतिरिक्त उनकी वेशभूषा, उनका खानपान इसका प्रमाण था कि वह भारतीय संस्कृति के प्रशंसक थे। वे जब तक रहे भारतीय वेशभूषा को कभी नहीं छोड़ा। शुद्ध शाकाहारी भोजन करते थे और मदिरापान से स्वयं को दूर रखे हुए थे। भारत में विज्ञान के विकास के लिए नई राहें बनायी थीं। अपने आविष्कारों में उन्होंने भारतीय संस्कृति के वाद्ययंत्रों की मधुरता को सिद्ध किया था। उन्होंने यह सिद्ध किया था कि विश्व के सभी वाद्ययंत्रों से अधिक मधुर आवाज़ भारतीय वाद्ययंत्रों की थी। 

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