pls me in question no.6 it is from chapter ehi thaiyan jhulni hairani oh rama from kritika

pls me in question no.6 it is from chapter ehi thaiyan jhulni hairani oh rama from kritika -F fan

मित्र!
हमारे मित्रों ने आपके प्रश्न का उत्तर दिया है। हम भी अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।

दुलारी के इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए बहुत बड़ा सन्देश छिपा है। टुन्नू के पिता ज्यादा पैसे वाले  नहीं थे।​​ वे ​साधारण घर के थे। टुन्नू ने शायद ही कभी नोट देखा होगा। यह एक प्रकार का कटाक्ष है और युवाओं के लिए एक सबक की तरह है। आजकल युवावर्ग भी अपने माँ बाप की या घर की हैसियत देखे बिना खर्च करता है। घर में कुछ न हो पर उनके हाथों में बड़े-बड़े मोबाइल होते हैं। ये बाते युवावर्ग को समझना चाहिए।

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दुलारी का टुन्नू को यह कहना उचित था - "तैं सरबउला बोल ज़िन्दगी में कब देखने लोट?...! " क्योंकि टुन्नू अभी सोलह सत्रह वर्ष का है। उसके पिताजी गरीब पुरोहित थे जो बड़ी मुश्किल से गृहस्थी चला रहे थे। टुन्नू ने अब तक लोट (नोट) देखे नहीं। उसे पता नहीं कि कैसे कौड़ी-कौड़ी जोड़कर लोग गृहस्थी चलाते है। यहाँ दुलारी ने उन लोगों पर आक्षेप किया है जो असल ज़िन्दगी में कुछ करते नहीं मात्र दूसरों की नकल पर ही आश्रित होते हैं। उसके अनुसार इस ज़िन्दगी में कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता। इस ज़िन्दगी में कब नोट या धन देखने को मिल जाए कोई कुछ नहीं जानता। इसलिए हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।
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