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मित्र  लेखक ने नवाब साहब को नई कहानी का पात्र इसलिए कहा है क्योंकि देश को आज़ाद हुए बहुत समय हो गया है लेकिन आज भी ऐसे लोग विद्यमान हैं, जो अपनी झूठी सामंती दुनिया में जी रहे हैं। उनके लिए अपनी नकली आन-बान-शान उनकी ज़रूरतों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। लेखक भली-भांति जानते थे कि नवाब साहब बहुत भूखे थे। खीरे उन्होंने अपने खाने के लिए ही रखे थे। परन्तु लेखक द्वारा खीरे खाने से मना करने पर उनके अंहकार को चोट पहुँची थी। वह कैसे स्वयं को लेखक के आगे नीचा रख सकते थे। अत: उन्होंने खीरे खाने का जो तरीका निकाला, वह उनकी बनावटी शान का प्रत्यक्ष उदाहरण था। 

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