ज्यों निकल कर बादलों की गोद से।
थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी।।
सोचने फिर फिर यही जी में लगी।
आह क्यों घर छोड़कर मैं यों बढ़ी।।

दैव मेरे भाग्य में क्या है बढ़ा।
में बचूँगी या मिलूँगी धूल में।।
या जलूँगी गिर अंगारे पर किसी।
चू पडूँगी या कमल के फूल में।।

बह गयी उस काल एक ऐसी हवा।
वह समुन्दर ओर आई अनमनी।।
एक सुन्दर सीप का मुँह था खुला।
वह उसी में जा पड़ी मोती बनी।।
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लोग यों ही है झिझकते, सोचते।
जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर।।
किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें।
बूँद लौं कुछ और ही देता है कर।।

प्रश्न- इस कविता का सन्देश क्या है?
क- डरो मत
ख- घर से बाहर निकलो 
ग- भाग्य बली है 
घ- नई परिस्थितियों से विकास होता है 
 
प्रश्न- `बूँद` किसकी प्रतीक है?
क- प्रकृति की 
ख- मनुष्य की 
ग- समाज की 
घ- लड़की की

प्रश्न- घर से निकली बूँद के मन में क्या भाव थे?
क- दुविधा 
ख- चिंता 
ग- अनिश्चितता 
घ- आशंका 

प्रश्न `हवा` किसकी प्रतीक है?
क- वातावरण 
ख- परिस्थितियां 
ग- भाग्य 
घ- कर्म

प्रश्न- घर छोड़ने वाले के साथ क्या होता है?
क- पग-पग पर संकट आते हैं 
ख- नई-नई परिस्थितियां सामने आती हैं 
ग- उन्नति के अवसर सामने आते हैं 
घ- व्यक्तित्व में निखर के अवसर सामने आते हैं 



मित्र!
हम आपके प्रश्न के उत्तर में अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।

ज्यों निकल ----------------देता है कर।

प्रश्न-  इस कविता का सन्देश क्या है?
 क- डरो मत 

प्रश्न- `बूँद` किसकी प्रतीक है?
ख- मनुष्य की 

प्रश्न- घर से निकली बूँद के मन में क्या भाव थे?
ग- अनिश्चितता 

प्रश्न `हवा` किसकी प्रतीक है?
ग- भाग्य 

प्रश्न- घर छोड़ने वाले के साथ क्या होता है?
ख- नई-नई परिस्थितियां सामने आती हैं।

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