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प्रिय विद्यार्थी , 

आपके प्रश्न का उत्तर है - 

लघुकथा - गंगा और मैं 
गंगा नदी से मेरा रिश्ता बहुत पुराना है । मैं बचपन के दिनों से ही गंगा के तट पर आया करता हूँ । एक दिन मेरी नजर गंगा के जल पर पड़ी , जिसमें बहुत सारा कचरा बह रहा था और गंगा की स्वच्छता को धूमिल कर रहा था । मैंने सोचा कि हमने गंगा को कितना अस्वच्छ और अपवित्र कर दिया है । तभी मेरे मन में यह ख्याल आया कि गंगा को कितना बुरा लगता होगा कि हम उसे माँ कहकर पुकारते हैं और अपना सारा कूड़ा-कचरा उसमें बहा देते हैं । और उसके उत्तर में यह आवाज आई कि बहुत बुरा लगता है । मैं चौंक पड़ा लेकिन मुझे आस-पास कोई नहीं दिखा । मैंने सोचा कि यह किसकी आवाज थी , तो मेरे मन में यह आवाज आई कि मैं गंगा हूँ । और तुमने अभी जो स्थिति देखी है , वह केवल मेरी ही नहीं बल्कि सभी नदियों की स्थिति है । इससे हमारे जल में रहने वाले जीवों को भी नुकसान होता है । मैंने ये सब बातें सुनकर उत्तर दिया कि मैं यह कोशिश करूँगा कि मैं अधिक लोगों को इसके प्रति जागरूक कर सकूँ । 

इस आधार पर आप अपना उत्तर लिख सकते हैं । 

आभार । 

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