plz give me a poem on matrabhoomi or deshprem in hindi not long
नमस्कार मित्र!
हमारे मित्र ने भी अच्छी कविता दी है।
एक कविता हम आपको लिखकर दे रहे हैं। यह प्रसिद्ध देशभक्त राम प्रसाद बिस्मिल की कविता है। यह वही देशभक्त हैं, जो भगत सिंह के साथ हँसते-हँसते फाँसी पर चढ़ गए थे। इस कविता में मातृभूमि और देशभक्ति दोनों को समावेश मिल जाएगा। यह आपकी बहुत सहायता करेगी।
हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शिर नवाऊँ ।
मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।।
मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।।
माथे पे तू हो चंदन, छाती पे तू हो माला ;
जिह्वा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ ।।
जिह्वा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ ।।
जिससे सपूत उपजें, श्री राम-कृष्ण जैसे;
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।।
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।।
माई समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर;
करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।।
करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।।
सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर;
वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ सुनाऊँ ।।
वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ सुनाऊँ ।।
तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मंत्र गाऊँ।
मन और देह तुझ पर बलिदान मैं जाऊँ ।।
मन और देह तुझ पर बलिदान मैं जाऊँ ।।
ढेरों शुभकामनाएँ!