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प्रिय मित्र
एक बार एक लालची व्यक्ति से एक जमींदार ने कहा की वो जितनी जमीन पे चलेगा उतनी जमीन उसकी हो जाएगी मगर एक शर्त है की जहां से उसने शुरुआत की थी शाम तक उसे उस जगह पे वापस आना पड़ेगा।
यह सुनकर लालची व्यक्ति बहुत खुश हुआ और चलने लगा,लालच के कारण वो और आगे तक बढ़ता चला गया जब शाम होने लगी तो उसे लगा की अब अगर वापस नहीं गया तो सब चला जाएगा।इसलिए वो अब तेज - तेज चलने लगा।मगर शाम होने में कुछ ही वक़्त बचा था और वो दौड़ने लगा,कुछ देर दौड़ने के बाद वो हाफने भी लगा परन्तु दौड़ना ना छोड़ा।वो शाम होने तक उस जगह पहुंच तो गया जहां से शुरुआत की थी,मगर सांस फूलने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।लालच के कारण उसे जान से भी हाथ धोना पड़ा।
इसीलिए कहा गया है कि 'लालच बुरी बला है।'

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