Plzzz can i have the Summary of madhur Madhur mere deepak Jal in English!!!!!!!!!!!!!

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मित्र हिन्दी हमारी मातृभाषा है। इसका ज्ञान होना सबके लिए आवश्यक है। जिस तरह आप अंग्रेजी को समझने के लिएहिन्दी का सहारा नहीं लेते ठीक उसी प्रकार आपको हिन्दी को समझने के लिए भी किसी अन्य भाषा का सहारा नहीं लेना चाहिए।   परीक्षा में हिन्दी भाषा के उत्तर हिन्दी में ही लिखने पड़ते है।यदि इसे आप अन्य भाषा में समझेगें तो आपको परीक्षा के समय परेशानी होगी।  हम आपको हिन्दी में सारांश उपलब्ध करवा रहे हैं। कृपया आप इससे ही समझने का प्रयास करें। 
'मधुर-मधुर मेरे दीपक जल' कविता में कवियत्री महादेवी वर्मा को अपने ईश्वर पर अपार विश्वास और श्रद्धा है। इसी विश्वास और श्रद्धा के सहारे वह अपने ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाना चाहती हैं। उन्हें स्वयं से बहुत अपेक्षाएँ हैं। वह अपने कर्तव्यों को समझते हुए स्वयं को जलाने के लिए तैयार हैं क्योंकि वह जानती हैं, इस संसार का कल्याण उनके जलने में ही है। यदि वह चाहती हैं कि इस संसार के सभी प्राणी इस मार्ग का अनुसरण करें, तो उन्हें स्वयं को जलाना पड़ेगा। इस कविता में स्वहित के स्थान पर लोकहित को अधिक महत्व दिया गया है। कवियत्री अपने आस्था रूपी दीपक से आग्रह करती है कि वह निरंतर हर परिस्थिति में जलता रहे। क्योंकि उसके जलने से इन तारों रूपी संसार के लोगों को राहत मिलेगी। उनके अनुसार लोगों के अंदर भगवान को लेकर विश्वास धुंधला रहा है। थोड़ा-सा कष्ट आने पर वे परेशान हो जाते हैं। अत: तेरा जलना अति आवश्यक है। तुझे जलता हुआ देखकर उनका विश्वास बना रहेगा। उनके अनुसार एक आस्था के दीपक से सौ अन्य दीपकों को प्रकाश मिल सकता है।

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madhur madhur mere deepak jaale poem: in this the poet says that in every movement we should make the way bright to our god. the fragrence of your goodness should be detailed like a joss stick. Our soft body should be as pure the soft wax of candle which gives light like a ocean( quantity here is compared with a ocen) , your lifes each atom should be burned to light others life. the light here of the diyas are compared to the belief in god, and the diyas are now lighting with a thrill. all the new and cold souls are soft and they are asking you for a atom of sparkle and light. The earthworm 's and butterfly 's tune says that i will not burn after meeting you and now my candle is shivering, they say that ones you are devoted to god your aims will not shiver . In the burning sky see the uncounted candle eternally lower with love, the heart of lake with water is burning and the thunders are falling to take revenge. Now my lights are burning with confidence

 

 

 

 

 

In Hindi

  मधुर - मधुर मेरे दीपक जल ' कविता में कवियत्री महादेवी वर्मा को अपने ईश्वर पर अपार विश्वास और श्रद्धा है। इसी विश्वास और श्रद्धा के सहारे वह अपने ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाना चाहती हैं। उन्हें स्वयं से बहुत अपेक्षाएँ हैं। वह अपने कर्तव्यों को समझते हुए स्वयं को जलाने के लिए तैयार हैं क्योंकि वह जानती हैं , इस संसार का कल्याण उनके जलने में ही है। यदि वह चाहती हैं कि इस संसार के सभी प्राणी इस मार्ग का अनुसरण करें , तो उन्हें स्वयं को जलाना पड़ेगा। इस कविता में स्वहित के स्थान पर लोकहित को अधिक महत्व दिया गया है। कवियत्री अपने आस्था रूपी दीपक से आग्रह करती है कि वह निरंतर हर परिस्थिति में जलता रहे। क्योंकि उसके जलने से इन तारों रूपी संसार के लोगों को राहत मिलेगी। उनके अनुसार लोगों के अंदर भगवान को लेकर विश्वास धुंधला रहा है। थोड़ा - सा कष्ट आने पर वे परेशान हो जाते हैं। अत : तेरा जलना अति आवश्यक है। तुझे जलता हुआ देखकर उनका विश्वास बना रहेगा। उनके अनुसार एक आस्था के दीपक से सौ अन्य दीपकों को प्रकाश मिल सकता है।

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