plzzz provide me line by line explanation of poem chandra gehena se louti ber ... bcozz i m not able to understand whole poem... plzzz provide me as fast as u can....

चंद्र गहना से लौटती बेर एक बहुत लंबी कविता है। इतनी बड़ी कविता की एक-एक पंक्ति की व्याख्या देना कठिन हो जाता है। आप इस कविता को पहले आराम से पढ़े क्योंकि यह सरल भाषा में लिखी गई है इसलिए इसको समझने में कठिनाई नहीं आनी चाहिए परन्तु आपको फिर भी कठिनाई आ रही है। आप हमें उस भाग या पंक्ति को लिखकर भेजें, हम आपको समझाने का प्रयास करेंगे। आपकी सहायता के लिए हम एक भाग की व्याख्या लिखकर भेज रहे हैं-


कवि चंद्र गहना नामक गाँव से आ रहा था। वह स्वयं के लिए कहता है कि मैं चंद्र गहना को देख आया हूँ। परन्तु रास्ते में एक खेत के किनारे बैठा हुआ था, मेरे साथ कोई भी नहीं था। मेरी नज़र पास के एक खेत में पड़ी, जहाँ पर मुझे एक बीते का हरे चने का पौधा दिखाई दिया। उस पौधे पर एक गुलाबी रंग का फूल खिला हुआ था। उसे देखकर मुझे प्रतीत हुआ मानो कोई अपने सर पर गुलाबी रंग की पगड़ी बाँधकर सजकर खड़ा है। उसके नज़दीक ही एक अलसी का पौधा उगा हुआ है। वह देखने में हठली सी और सुंदर युवती-सी प्रतीत हो रही है। उसे देखकर लगता है जैसे पतली देह वाली युवती है, जिसकी कमर बहुत लचीली है। पौधे पर लगा नीला रंग का फूल ऐसा प्रतीत होता है मानो वह निमंत्रण दे रही है, जो इसे छुएगा उसे वह पुरस्कार स्वरूप अपना दिल दे देगी।

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Sorry Juhi ,

I didnt understand your question but i am wiling to help you 

Just give me a link about where can i find it on the net or just write it down

Bye

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