Poem- Megh aaye by sarvesh dayal saxena

उत्तर :- 

कविता के अनुसार नदी ठिठक गई है । वह मेघ को बाँकी चितवन से देख रहा है । 'घूँघट सरके' से कवि का तात्पर्य है कि जिस प्रकार अतिथि के आने से गाँव की स्त्रियाँ अपने घूँघट उठा कर उनको देखती है, ठीक उसी प्रकार नदी भी मेघ के आने पर उसे देखती है जिस कारण उसका घूँघट सरकता प्रतीत हो रहा है । इससे यह प्रतीत हो रहा है मानो नदी मेघ के आने की राह देख रही थी ।

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