pratipadya for manushyata

'मनुष्यताकविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त मनुष्य को मनुष्यता का भाव अपनाने के लिए कहते हैं। उनके अनुसार आज का मनुष्य अपने स्वार्थों की पूर्ति हेतु लोकहित जैसी भावना को भूलता जा रहा है। कवि कर्णदधीचि ऋषिरंतिदेवराजा उशीनर आदि महानुभूतियों का उदाहरण देकर मनुष्य को लोकहित के लिए प्रेरित करते हैं। वह कहते हैं,जो मनुष्य इस संसार में दूसरों की सेवाभाव में अपना जीवन समर्पित करते हैंवे इस संसार के द्वारा ही नहीं अपितु भगवान के द्वारा भी पूज्यनीय होते हैं। वह अपने कार्यों से समाज में अन्य लोगों को लोकहित और सेवा का मार्ग दिखाते हुए चलते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज में मिसाल कायम करते हैं। युगों-युगों तक उनकी गाथा गायी जाती है। अतमनुष्य को अपने गुणों का विकास करते हुए,पूरा जीवन लोकहित में अर्पण कर देना चाहिए।

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