prem aur mooh me kaya antar hai?

मित्र इसे शब्दों में समझाना कठिन है। क्योंकि दोनों ही एक सिक्के के पहलू हैं। जब हम किसी से प्रेम करते हैं, तो हम उससे कुछ चाहते नहीं है, बस प्रेम करते हैं। उसी में स्वयं को भुला देते हैं। प्रेम हमें किसी को मारने या किसी के लिए मरने को नहीं कहता है। हम बस उसी में स्वयं को रमा देते हैं। इसके विपरीत मोह में पड़ा व्यक्ति उसे पाने के लिए कुछ भी करता है। वह जिसके प्रति आसक्त होता है, उसे मार भी सकता है, या उसके लिए मर भी सकता है। मोह  से ग्रसित व्यक्ति सदैव दुख खाता है परन्तु प्रेम में पड़ा व्यक्ति सदैव सुखी रहता है। प्रेम चाहता नहीं है परन्तु मोह सदैव चाहता है। यही मोह और प्रेम में अंतर है। यह आवश्यक नहीं है कि मोह किसी व्यक्ति से ही हो, किसी वस्तु से भी हो सकता है।

इसके लिए आपको एक उदाहरण देते हैं- तुलसीदास जी राम भक्ति करते हुए जीवनयापन करते थे। उनका विवाह रत्नावली नामक युवती से हुआ था। वह अपनी पत्नी को बहुत प्रेम करते थे। एक दिन उनकी पत्नी मायके चली गई। पत्नी की याद में वह इतने दुखी हो गए कि आँधी और तुफानी रात में ही घर से निकल पड़े। नदी बरसात के कारण उफ़न रही थी। उन्हें उसका भी भय नहीं लगा वह उसी में कूद पड़े और पत्नी के मायके पहुँच गए। पत्नी के कमरे में उन्होंने दरवाज़े से प्रवेश न कर खिड़की के रास्ते से प्रवेश किया। पति को इस प्रकार आया देखकर पत्नी को बड़ा दुख हुआ। तुलसीदास रामभक्त और एक विद्वान ब्राह्मण थे। उनकी इस प्रकार की दशा देखकर वह चकित और क्रोधित हो गईं। उन्होंने तुलसीदास जी पर व्यंग्य कसा कि मुझ पर तुम्हारा जितना प्रेम है यदि उसका कुछ अंश भी भगवान राम पर होता, तो तुम इस भव सागर को पार कर जाते थे। इस प्रकार के वचन सुनकर तुलसीदास को ज्ञान हुआ कि वह क्या कर रहे थे और किसके पीछे पड़े हुए थे। वह पत्नी को छोड़ भगवान राम में रम गए। भगवान राम से उनका प्रेम वासना, मोह, लोभ, स्वार्थ से परे था। परन्तु पत्नी से वह जिसे प्रेम समझते थे, वह मोह था। 

आशा करती हूँ इस उदाहरण के माध्यम से आपको मोह और प्रेम में अंतर पता चल गया होगा।  

  • 4

prem me swaarth bhawna nahi hoti,wahi moh me swarth bhawna hoti hai..udharan k liye-ek mata-pita ka krtavya hota hai apne shishu ko padhana aur khud k pairo pe khade hone layak banana...parantu yadi mata-pita apne bacche se moh ki maya me bandhe hain to we chahte hain ki yeh mere budhape ka sahara bane,meri dekhbal kare..jo ki swarth bhawna hai..wahi prem me yeh swarth bhawna nhi hoti..

hope it helps!!

  • -2
What are you looking for?