Premchandra ki Muskan lekhak ko kyon kachhutti hai

मित्र लेखक ने प्रेमचंद की मुस्कान कचोटती है क्योंकि यह मुस्कान नहीं अपितु व्यंग्य अथवा उपहास है। दर्द के भीतर से निकली हुई मुस्कान है। फोटो खिंचवाने के लिए वह किसी से नए जूते मांग सकते थे किंतु उन्होंने अपने फटे जूते ही पहने, इतना बड़ा लेखक और एक ऐसी सादगी। फोटो तो सदियों तक रहेगी, प्रेमचंद चाहते तो किसी से जूता उधार ले सकते थे। इसके बावजूद फटे जूते पहनकर प्रेमचंद मुस्कुरा रहे हैं, यह मुस्कान लेखक को कचोटती है।

  • 0
What are you looking for?