Premchandra ki phata juta path Mein Hindi likho ki sthiti per Kya vyang Kiya gaya hai
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
लेखक ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य किया है, जो दिखावे को जीवन का आधार मानते हैं। उनके लिए दिखावा अहम है। स्वयं को और समाज को भ्रमित कर रहे हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति आँखें बंद किए रहते हैं। इसमें लेखक स्वयं तक को गिनता है। ऐसे लोग अपने फटे जूतों मेंं से उंगलियां अर्थात अपनी बुराइयां छुपाने में विश्वास रखते हैं। लोगों के सामने ऐसा पक्ष जाना चाहिए जो सुंदर और अच्छा हो। इस प्रकार समाज को सही तस्वीर प्रस्तुत नहीं हो पाती है।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
लेखक ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य किया है, जो दिखावे को जीवन का आधार मानते हैं। उनके लिए दिखावा अहम है। स्वयं को और समाज को भ्रमित कर रहे हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति आँखें बंद किए रहते हैं। इसमें लेखक स्वयं तक को गिनता है। ऐसे लोग अपने फटे जूतों मेंं से उंगलियां अर्थात अपनी बुराइयां छुपाने में विश्वास रखते हैं। लोगों के सामने ऐसा पक्ष जाना चाहिए जो सुंदर और अच्छा हो। इस प्रकार समाज को सही तस्वीर प्रस्तुत नहीं हो पाती है।