Pustak samiksha format
मित्र!
पुस्तक समीक्षा का कोई प्रारूप नहीं होता है। बस समीक्षा करते समय आपको कुछ बातों का ध्यान रखना पढ़ता है। आप सबसे पहले किसी पुस्तक को ध्पानपूर्वक पढ़ें। उसमें आपको कथावस्तु, पात्र, घटना, भाषा इत्यादि के विषय में जो भी अच्छा-बुरा लगता है, उस पर अपने विचार प्रकट कीजिए। यही पुस्तक समीक्षा कहलाती है।
पुस्तक समीक्षा का कोई प्रारूप नहीं होता है। बस समीक्षा करते समय आपको कुछ बातों का ध्यान रखना पढ़ता है। आप सबसे पहले किसी पुस्तक को ध्पानपूर्वक पढ़ें। उसमें आपको कथावस्तु, पात्र, घटना, भाषा इत्यादि के विषय में जो भी अच्छा-बुरा लगता है, उस पर अपने विचार प्रकट कीजिए। यही पुस्तक समीक्षा कहलाती है।