Q.4

मित्र! 
आपका उत्तर इस प्रकार है-

मनुष्य को जो मिलता है, वह उससे संतुष्ट नहीं होता। जिस प्रकार चांदनी रात में चाँद न निकले तो रात का सौन्दर्य मिट जाता है, उसी प्रकार मनुष्य को धन-दौलत न मिले, तो वह बहुत दुखी होता है। मनुष्य हमेशा दुविधाग्रस्त होता है और ऐसे में उसे कुछ नहीं सूझता। वह और अधिक निराशा के अंधेरों में फंस जाता है। मनुष्य को अपनी पुरानी बातों को भूलकर आगे बड़ते रहना चाहिए। जो न मिले, उसे भूल जाना चाहिए। 

  • 0
What are you looking for?