Question no. 8( A) part gandhi ji apna vilakshan Aadarsh chalane mein kyo Safal rahe?

प्रिय मित्र!

8.क.  गांधीजी आदर्शों को व्यवहार में मिलाकर प्रयोग करते थे। उनके आदर्श कोरे कहने के लिए नहीं थे। वह उन्हें अपने व्यवहार में शामिल कर प्रयोग में लाते थे। उदाहरण के लिए यदि वह कहते थे कि झूठ बोलना पाप है, तो वह पहले स्वयं झूठ बोलना छोड़ देते थे। धीरे-धीरे इन्हें अपने व्यवहार में शामिल कर लेते। इसके बाद यह आदर्श का रूप धारण कर लेते थे इसलिए गांधीजी अपना विलक्षण आदर्श चलाने में सफल रहे।  वे व्यावहारिकता के महत्व को जानते थे इसलिए वे अपने विलक्षण आदर्श को चला सके वरना ये देश उनके पीछे कभी न जाता। यह बात सही है परन्तु गांधीजी कभी आदर्श को व्यावहारिकता के स्तर पर नही उतरने देते थे बल्कि वे व्यावहारिकता को आदर्शों के स्तर पर चढ़ाते थे। वे सोने में ताँबा मिलाकर नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे इसलिए सोना ही हमेशा आगे रहता।

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