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ग- साधारण प्रैक्टिकल आईडियालिस्ट तथा गाँधीजी के प्रैक्टिकल आईडियालिस्ट होने में क्या अंतर है?

मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।

साधारण प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट वे होते हैं जो अपनी बातों में आदर्शों को व्यवहारिकता के साथ पेश करते हैं। गांधी जी के प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट शुद्ध आदर्श को ऊंचा मानते हैं। ऐसा आदर्श जिसमें नाफा-नुकसान नहीं होता और आदर्शों पर कभी भी व्यावहारिकता को उपर नहीं आने दिया जाता। इन आदर्शों में समाज और मनुष्य की भलाई बसी हुई होती है।  गांधी जी व्यवहारिकता का मूल्य समझते थे और व्यवहारिकता में आदर्श मिलाकर उसे ऊँचा कर देते थे। उन्होंने अपने आदर्शों को कभी व्यवहारिकता के स्तर पर नहीं उतारा। शुद्ध सोने में मजबूती लाने के लिए उसमें तांबा मिलाना पड़ता है, उसकी प्रकार अपने आदर्शों में व्यवहारिकता का समावेश करते थे। 

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 I AM SORRY ... I AM NOT WELL VERSED IN HINDI AND SANSKRIT ...
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