raam viyogi ki sthiti/dashaa kaisi hoti hai???
राम वियोगी की दशा ऐसे व्यक्ति के समान हो जाती है जिसके शरीर में साँप निवास करने लगता है। ऐसे व्यक्ति पर कोई उपाय या मंत्र भी बेअसर हो जाता है। उसके लिए न मरते बनता है और न जीते बनता है।दर्द के कारण वह जी नहीं पाता और यदि किसी कारणवश जी जाता है, तो पागलों के समान उसकी दशा हो जाती है।राम वियोगी की स्थिति भी कुछ इसी तरह की है। शरीर में भी राम से न मिल पाने का विरह साँप के समान बस जाता है। जिससे वह छटपटा रहता है। उससे जीया नहीं जाता है और यदि वह जी भी लेता है तो पागलों के समान राम-राम कहता फिरता है।