rahim das ke doho ka sahi hindi uttar digiye.

प्रिय विद्यार्थी ,

आपके प्रश्न का उत्तर है - 

बुरा जो खोजन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो मन खोजा आपनो , मुझ सा बुरा न कोय ।
प्रस्तुत दोहा कबीर द्वारा रचित है । इस दोहे के माध्यम से कबीर यह कहना चाहते हैं कि जब मैं संसार में बुरा खोजने निकला , तो मुझे कोई भी बुरा नहीं मिला । वे आगे कहते हैं कि जब मैंने स्वयं के अंदर झाँक कर देखा तो मुझसे अधिक बुरा इंसान कोई और नहीं मिला ।इससे कबीर का यह तात्पर्य है कि हम हमेशा केवल दूसरों में बुराई ढूँढते हैं , कभी अपने अंदर की बुराई को देखकर उसे समाप्त करने की कोशिश नहीं करते हैं ।

जो रहीम उत्तम प्रकृति , कर का सकत कुसंग ।
चंदन विष व्यापत नहीं , लिपटै रहत भुजंग ।।

प्रस्तुत दोहा रहीम का है । रहीम कहते हैं कि अगर व्यक्ति का स्वभाव अच्छा है , तो उसपर बुरी संगति का कोई असर नहीं पड़ सकता है । जिस प्रकार चंदन के वृक्ष पर असंख्य साँपों के लिपटे रहने के बावजूद भी उसमें कोई विष नहीं होता है । अर्थात अगर हमारा स्वभाव अच्छा है , तो हम पर किसी भी प्रकार की बुरी संगति का कोई असर नहीं होगा ।

रूठा सुजन मनाइए , जो रुठै सौ बार ।
रहिमन पुनि-पुनि पोइए , टूटे मुक्ताहार ।।

प्रस्तुत दोहा रहीम का है । इस दोहे में रहीम कहते हैं कि रूठे हुए सज्जन व्यक्ति को मनाना चाहिए, चाहे वह कितनी बार भी रूठे । रहीम ने सज्जन व्यक्ति की तुलना मोती से की है । जिस प्रकार मोतियों के माला के टूटने पर हम उन्हें फेंकने के बदले फिर से धागे में पिरो लेते हैं , उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति को भी कभी रूठने नहीं देना चाहिए ।

हम एकसाथ इतने अधिक दोहों के अर्थ आपको नहीं बता सकते हैं । कृपया आप बाकी के दोहे अलग थ्रेड में पूछें , ताकि हम उनका अर्थ आपको बता सकें ।

आभार ।

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