raidas ke doosre dohe ka kendriya bhav

दूसरे दोहे का केन्द्रीय भाव प्रभु की कृपा तथा प्रेम है। रैदास के अनुसार जिस भक्त को प्रभु कृपा  तथा प्रेम मिलता है, वह भक्त नीच कूल का होते हुए भी राजाओं जैसे सम्मान पा जाता है।

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