Ramviyogi kyo nahi je pata karan likhiye
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
राम वियोगी राम के विरह में तड़पता रहता है। यह विरह उस साँप की भांति है, जो हृदय में समाया हुआ है। किसी भी प्रकार का मंत्र उस पर काम नहीं करता है। अतः राम वियोगी न जीता है और न ही मर पाता है। अर्थात राम भगत अपने प्रभु से मिलना चाहता है। उनसे मिलने के लिए वह तड़पता रहता है। जब तक उनसे नहीं मिलता है, तब तक न जी पाता है और न मर पाता है।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
राम वियोगी राम के विरह में तड़पता रहता है। यह विरह उस साँप की भांति है, जो हृदय में समाया हुआ है। किसी भी प्रकार का मंत्र उस पर काम नहीं करता है। अतः राम वियोगी न जीता है और न ही मर पाता है। अर्थात राम भगत अपने प्रभु से मिलना चाहता है। उनसे मिलने के लिए वह तड़पता रहता है। जब तक उनसे नहीं मिलता है, तब तक न जी पाता है और न मर पाता है।