RAS kya hota hai?

मित्र तरह-तरह का भोजन खाने पर हमें अनेक रसों का अनुभव होता है  अर्थात अलग-अलग स्वाद का पता चलता है। उसी प्रकार किसी भी कविता या काव्य को पढ़ने के बाद जिस आनन्द की प्राप्ति होती है, उसे रस कहते हैं। हिन्दी साहित्य में रस ग्यारह  प्रकार के होते हैं। इनके नाम हैं- श्रृंगार रस, हास्य रस, करुण रस, रौद्र रस, वीर रस, भयानक रस, वीभत्स रस, अद्भुत रस, शांत रस, वात्सल्य रस तथा भक्ति रस। 

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किसी कविता को पढ़ते समय मिलने वाला आनंद रस कहलाता है। यह आनंद लौकिक नहीं होता है, यह अलौलिक होता है। इसका अर्थ निचोड़ से लिया जाता है। हम कह सकते हैं, वह भाव जिसे निचोड़ कहा जाता है। रस नौ प्रकार के होते हैं- जब हम किसी रचना को पढ़कर विभिन्न भावों (सुख, दुख, आनंद, प्रसन्नता) का उदय हो, वही रस कहलाते हैं। रस नौ प्रकार के होते हैं जैसे- वीर, श्रृंगार, हास्य, रौद्र, करुण, भयानक, वीभत्स, अद्भुत, शान्त।

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