raskhan ke anusar sangeet ki ekagrata ke samne gopiyon ko kya kya feeka lagta hai?

उन्हें लोक-लाज का भय नहीं लगता था। वे सारे भय छोड़कर छतों पर खड़ी हो जाती थी और सब कुछ भूल जाती थी। वे कृष्ण की बांसुरी में मंत्र मुग्ध होकर ही रह जाती थीं।

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