Raskhan ke bhasha saundariya par prakash daliye
प्रिय विद्यार्थी,
रसखान कृष्ण भक्ति धारा के कवि हैं । उन्होंने अपनी रचनायें ब्रज भाषा में लिखी हैं । उनके काव्य में प्रेम और भावों का मार्मिक चित्रण मिलता है , और उनके यहाँ ब्रजभाषा का सरल, सरस, और मनोरम प्रयोग दिखाई पड़ता है ।
स्वाभाविकता ही रसखान की भाषा की विशेषता है । रसखान की भाषा में शब्दों का चयन, व्यंजना शैली बहुत ही प्रखर है । शब्दों का आडंबर उनके काव्य में नहीं दिखलाई पड़ता है । उनके भाषा में मुहावरों का भी सरल रूप में प्रयोग हुआ है ।
आभार ।
रसखान कृष्ण भक्ति धारा के कवि हैं । उन्होंने अपनी रचनायें ब्रज भाषा में लिखी हैं । उनके काव्य में प्रेम और भावों का मार्मिक चित्रण मिलता है , और उनके यहाँ ब्रजभाषा का सरल, सरस, और मनोरम प्रयोग दिखाई पड़ता है ।
स्वाभाविकता ही रसखान की भाषा की विशेषता है । रसखान की भाषा में शब्दों का चयन, व्यंजना शैली बहुत ही प्रखर है । शब्दों का आडंबर उनके काव्य में नहीं दिखलाई पड़ता है । उनके भाषा में मुहावरों का भी सरल रूप में प्रयोग हुआ है ।
आभार ।