ruriya jab bandhan ban bojh banne lga tab unka tut jana he acha hai | kyu aspast kijie.

हर परंपराएँ तथा रीतियाँ मनुष्य के जीवन को सरल और सुंदर बनाने के लिए बनायी जाती हैं। परन्तु जब उनमें रूढ़ियाँ विद्यमान हो जाती हैं, तो उन्हें समाप्त कर देना चाहिए। जैसे तताँरा और वामीरो को अपने स्थान में विद्यमान रूढ़ी के कारण अपने प्राण देने पड़े। यदि गाँववाले उनके प्रेम को स्वीकृति देकर उनका विवाह कर देते, तो उन्हें अपने प्राण देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। अतः जो रूढ़ियाँ बंधन बन जाए उनका टूट जाना ही उचित है।

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