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प्रश्न- नीचे दिए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लिखिए-
क- आज के माता-पिता और उनकी बदलती सोच
* माता-पिता की भूमिका व उनका दायित्व
* बदलते परिवेश के साथ सामंजस्य
* सहायक का रूप
ख- विभिन्न राजनैतिक पार्टियों का देश के विकास में योगदान
* देश और राजनीति
* पार्टियों का दायित्व
* देश के विकास में तत्परता
ग- बनाव-श्रृंगार लक्ष्य प्राप्ति में बाधक
* आकर्षक दिखने की इच्छा
* पक्ष और विपक्ष
* संतुलन कैसे ?
मित्र!
हम एक बार में केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। आप अपने प्रश्न पुन: पूछ सकते हैं।
बनाव-शृंगार लक्ष्य प्राप्ति में बाधक – यह सत्य नहीं है कि बनाव और शृंगार से लक्ष्य में बाधा होती है। आज के युग में सभी आकर्षक और सुंदर दिखना चाहते हैं। जब तक सुंदर और तंदुरुस्त नहीं दिखाई देंगे तब कर उनका उत्पाद नहीं बिकेगा और उनका कार्य नहीं हो पाएगा। हम कहीं भी किसी कार्य के लिए जाएँ तो हमें फिट और आकर्षक दिखना जरूरी हैं नहीं तो सामने वाला हमें बहुत हल्के से लेगा। हम हमेशा बनाव-शृंगार में लगे रहे और कार्य को टालते रहें तो ये बात भी ठीक नहीं है। बनाव-शृंगार करने से खुद के अंदर भी एक प्रकार का विश्वास आता है इसलिए हम कोई भी कार्य करने से पहले खुद को आकर्षक रखना पसंद करते हैं।
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बनाव-शृंगार लक्ष्य प्राप्ति में बाधक – यह सत्य नहीं है कि बनाव और शृंगार से लक्ष्य में बाधा होती है। आज के युग में सभी आकर्षक और सुंदर दिखना चाहते हैं। जब तक सुंदर और तंदुरुस्त नहीं दिखाई देंगे तब कर उनका उत्पाद नहीं बिकेगा और उनका कार्य नहीं हो पाएगा। हम कहीं भी किसी कार्य के लिए जाएँ तो हमें फिट और आकर्षक दिखना जरूरी हैं नहीं तो सामने वाला हमें बहुत हल्के से लेगा। हम हमेशा बनाव-शृंगार में लगे रहे और कार्य को टालते रहें तो ये बात भी ठीक नहीं है। बनाव-शृंगार करने से खुद के अंदर भी एक प्रकार का विश्वास आता है इसलिए हम कोई भी कार्य करने से पहले खुद को आकर्षक रखना पसंद करते हैं।