sabhi cheejey yathavat hai fir bhi yeh baat lekhak ko jyada bhayanak kyo lagi hai?

अर्थात सभी चीज़ें अपने स्थान पर जैसी थीं वैसी हैं फिर भी कवि चिंतित हैं। क्योंकि उसे चिंता है यदि सब चीज़ें अपने स्थान पर ही हैं, तो इन छोटों बच्चों को पढ़ने, खेलने और कूदने की उम्र में काम करने क्यों जाना पड़ रहा है।

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